DHANTERAS 2019 THE BEST HINDU FESTIVAL
धनतेरस 2019
दिवाली लक्ष्मी जी के पूजन का त्योहार है। इस दिन धन-संपदा और शांति के लिए लक्ष्मी जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस के दिन से ही दिवाली की शुरुआत हो जाती है। समुद्र मंथन के दौरान धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे। आयुर्वेद लेकर प्रकट होने की वजह से भगवान धनवतंरी को औषधि का जनक भी कहा जाता है। धनतेरस के दिन धन के देवता भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। भगवान कुबेर को लक्ष्मी जी का खजांची कहा जाता है। धनतेरस वाले दिन खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। दिवाली से संबंधित खरीदारी भी इसी दिन की जाती है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन जिस वस्तु की खरीदारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। अब ऐसे में लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि आखिर किस सामान की खरीदारी की जाए।
दिवाली लक्ष्मी जी के पूजन का त्योहार है। इस दिन धन-संपदा और शांति के लिए लक्ष्मी जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस के दिन से ही दिवाली की शुरुआत हो जाती है। समुद्र मंथन के दौरान धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे। आयुर्वेद लेकर प्रकट होने की वजह से भगवान धनवतंरी को औषधि का जनक भी कहा जाता है। धनतेरस के दिन धन के देवता भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। भगवान कुबेर को लक्ष्मी जी का खजांची कहा जाता है। धनतेरस वाले दिन खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। दिवाली से संबंधित खरीदारी भी इसी दिन की जाती है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन जिस वस्तु की खरीदारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। अब ऐसे में लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि आखिर किस सामान की खरीदारी की जाए।
इस दिन लक्ष्मी के साथ धन्वन्तरि की पूजा की जाती है| दीपावली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है| दीपोत्सव का आरंभ धनतेरस से होता है| जैन आगम (जैन साहित्य प्राचीनत) में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' कहते हैं| मान्यता है, भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे| तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण (मोक्ष) को प्राप्त हुये| तभी से यह दिन जैन आगम में धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ| धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है|
धनतेरस पर क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुंद्र मंथन से धन्वन्तरि प्रकट हुए| धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था| भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है| विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदना चाहिए, क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का धातु है| इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ होता है| धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और यमदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व है| इस दिन को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है|
दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलता है. इसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाए जाते हैं. इन सबमें सबसे अहम बड़ी दिवाली का दिन होता है.
धनतेरस से भाई दूज तक मंदिरों और घरों को रंग बिरंगी खूबसूरत लाइटों से सजाया जाता है. इन दिनों बाजारों की रौनक बढ़ जाती है. आइए जानते हैं इस बार कौन सा त्योहार किस दिन मनाया जाएगा.
धनतेरस
धनतेरस के दिन सौभाग्य और सुख की वृद्धि के लिए मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस कहते हैं. धनतेरस की शाम परिवार की मंगलकामना के लिए यम नाम का दीपक जलाया जाता है.
धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दीप जलाने का महत्त्व
धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दिया जलाया जाता है। इसके पिछे की कहानी कुछ यूं है। एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदेव ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती| इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं| फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है| विशेषरूप से यदि घर की लक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है|
धनतेरस पूजा विधि
संध्याकाल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है| पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा करनी चाहिए| इनके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की पूजा का विधान है| ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई, जबकि धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए | क्योंकि धन्वन्तरि को पीली वस्तु अधिक प्रिय है| पूजा में फूल, फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है| धनतेरस के अवसर पर यमदेव के नाम से एक दीपक निकालने की भी प्रथा है| दीप जलाकर श्रद्धाभाव से यमराज को नमन करना चाहिए|
25 अक्टूबर
धनतेरस तिथि - शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019
धनतेरस पूजन मुर्हुत - शाम 07:08 बजे से रात 08:14 बजे तक
प्रदोष काल - शाम 05:39 से रात 08:14 बजे तक
वृषभ काल - शाम 06:51 से रात 08:47 बजे तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - सुबह 07:08 बजे (25 अक्टूबर 2019) से
त्रयोदशी तिथि समाप्त - दोपहर 03:46 बजे,
(26 अक्टूबर 2019) तक
धनतेरस मंत्र (Dhanteras
Mantra Hindi)
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…।।
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…।।
धनतेरस कुबेर मंत्र (Dhanteras
Kuber Mantra Hindi)
धनतेरस की मध्य रात्रि में इस कुबेर मंत्र का 108 बार जाप करें मिलेगा राज योग ।।
धनतेरस की मध्य रात्रि में इस कुबेर मंत्र का 108 बार जाप करें मिलेगा राज योग ।।
ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम: ।।
धनतेरस आरती (Dhanteras Aarti
In Hindi)
।। भगवान श्री धन्वन्तरी जी की आरती ।।
1- जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
2- तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए ।
देवासुर के संकट आकर दूर किए ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
3- आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया ।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
4- भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी ।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
5- तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे ।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
6- हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा ।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
7- धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे ।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
॥ इति आरती श्री धन्वन्तरि सम्पूर्णम ॥
लक्ष्मी जी आरती (Laxshami Ji
Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
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